सुविचार, जीवन पर आधारित कुछ बातें, सुभाषित (यथा देशस्तथा वेः।)By SUJEET SIR,9709622037,ARARIA,BIHAR.

सन्तुष्टिः परमं धनम्।

सन्तुष्टि श्रेष्ठ धन है।

( संतोष ही सबसे बड़ा धन है।)
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मनोरथनामगतिर्न विद्यते।

मनोरथों की गति का अभाव नहीं होता।

(इच्छाशक्ति से मनुष्य जो चाहे कर सकता है।)
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|| सर्वविधाः विज्ञाननाः प्रेम्ना दृश्यन्ते ||

"प्रेम में सभी प्रकार के भाव पाए जाते हैं।"







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अरक्षितं तिष्ठति दैवरक्षितम्।

जो अरक्षित हो वह दैव द्वारा रक्षित होने पर बच जाता है।

( जीवन-मरण ईश्वर के हाथ में है।)
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अधिकस्याधिकं फलम्।

अधिक का फल अधिक होता है।

(अधिक प्रयास का अधिक फल होता)
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दानं भोगो नाशः तिस्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य ।

 यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति ।।








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अश्वा यस्य जायस्तस्य।

जिसके पास घोड़े होते हैं, उसी की जीत होती है।

( बल से ही जीत मिलती है ।)

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यथा देशस्तथा वेः।

जैसा देश वैसा वेश।

(स्थान के अनुसार बरतना चाहिए।)
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पयसा सिञ्चितं नित्यं न निम्बो मधुरयते।

दूध से नित सींचा गया नीम का पेड़ मीठा नहीं होता।

(बहुत सिखाने पर भी बुरा व्यक्ति भला नहीं बनता।)








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धूताः पर्वता रम्याः।

दूर स्थित पर्वत सुन्दर होते हैं।

(दूर से सब अच्छा लगता है ।)
..........................................................................................॥ कालस्य क्रीड़ा अस्ति यः आगतः सः बहिः अस्ति ॥ (समय का खेल जिसका अर्थ है वो छा गया।)

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