हिंदी,class 12th, काव्यखंड 7. पुत्र वियोग(हर चुनौती हमें मजबूत और अधिक सशक्त बनाती है, हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है।)By sujeet sir,9709622037,8340763695, ARARIA, BIHAR.


7. पुत्र वियोग
लेखिका - सुभद्रा कुमारी चौहान

जन्म 16 अगस्त 1904

निधन 15 फरवरी 1948

निधन का कारण - बसंत पंचमी के दिन नागपुर से जबलपुर वापसी में कार

दुर्घटना मे

जन्म स्थान - निहालपुर, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश

माता- श्रीमती धिराज कुंवर

पिता- ठाकुर रामनाथ सिंह

पति - ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान (खंडवा, मध्यप्रदेश के निवासी)

विवाह 1919 मे हुआ था।



श्री चौहान प्रसिद्ध पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी, कांग्रेसी नेता तथा लेखक थे, जिनके द्वारा लिखित नाटकों 'कुली प्रथा' और 'गुलामी का नशा' को अंग्रेज सरकार द्वारा जब्त कर लिया गया था।

शिक्षा- प्रारंभिक शिक्षा क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद मे । सुप्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा इसी स्कूल मे इनके साथ ही पढ़ती थी। इसके बाद उन्होने थियोसोफिकल स्कूल, वाराणसी मे वर्ग 9 तक की पढ़ाई के बाद शिक्षा अधूरी छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़ी।

उन्होने समाज-सेवा के साथ-साथ स्वाधीनता संघर्ष मे सक्रिय भागीदारी निभाई। उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा। वे मध्यप्रदेश मे कांग्रेस पार्टी की एम० एल० ए० भी चुनी गई।

कृतियाँ- मुकुल (कविता संग्रह, 1930), त्रिधारा (कविता चयन), बिखरे मोती (कहानी संग्रह), सभा के खेल (कहानी संग्रह)।

उन्हे 1930 मे 'मुकुल' नामक कविता संग्रह पर हिंदी साहित्य सम्मेलन का 'सेकसरिया पुरस्कार' प्रदान किया गया था।

चिंतक कवि 'मुक्तिबोध' ने कहा कि "सुभद्रा जी के साहित्य मे अपने युग के मूल उद्वेग, उसके भिन्न-भिन्न रुप, अपनी आभरणहीन प्रकृत शैली मे प्रकट हुये है।"










आज दिशाए भी हँसतीं हैं, है उल्लास विश्व पर छाया, मेरा खोया हुआ खिलौना, अब तक मेरे पास न आया।



शीत न लग जाये, इस भय से, नही गोद से जिसे उतारा छोड़ काम दौड़ कर आई, 'मा' कहकर जिस समय पुकारा ।




थपकी दे दे जिसे सुलाया, जिसके लिये लोरिया गाई, जिसके मुख पर जरा मलिनता, देख आंख मे रात बिताई। 




जिसके लिये भूल अपनापन, पत्थर को भी बनाया कही नारियल, दूध, बताशे, कहीं चढ़ाकर शीश नवाया।




फिर भी कोई कुछ न कर सका, छिन ही गया खिलौना मेरा मै असहाय विवश बैठी ही, रही उठ गया छौना मेरा।




तड़प रहे है विकल प्राण ये, मुझको पल भर शांति नही है वह खोया धन पा न सकूँगी, इसमे कुछ भी भ्रांति नहीं है।







यह लगता है एक बार यदि, पल भर को उसको पा जाती

जी से लगा प्यार से सर, सहला सहला उसको समझाती ।




मेरे भैया मेरे बेटे अब, माँ को यों छोड़ न जाना

बड़ा कठिन है बेटा खोकर, माँ को अपना मन समझाना ।





भाई-बहिन भूल सकते है, पिता भले ही तुम्हे भुलावे

किंतु रात-दिन की साथिन माँ, कैसे अपना मन समझावे







> सुभद्रा कुमारी चौहान की जीवनी, इनकी पुत्री, सुधा चौहान ने 'मिला तेज से तेज' नामक पुस्तक में लिखी है। इसे हंस प्रकाशन, इलाहाबाद ने प्रकाशित किया है।






> भारतीय तटरक्षक सेना ने ने 28 अप्रैल 2006 को सुभद्राकुमारी चौहान की राष्ट्रप्रेम की भावना को सम्मानित करने के लिए नए नियुक्त एक तटरक्षक जहाज़ को सुभद्रा कुमारी चौहान का नाम दिया है।






> भारतीय डाकतार विभाग ने 6 अगस्त 1976 को सुभद्रा कुमारी चौहान के सम्मान में 25 पैसे का एक डाकटिकट जारी किया है।-

Question paper exam related 



1. कवयित्री का 'खिलौना' क्या है ?

उत्तर- कवयित्री का खिलौना उसका बेटा है। जिस प्रकार एक बच्चे को अपना खिलौना अत्यंत प्रिय लगता है, वह हर समय उसे अपने साथ लेकर घुमता है, उसके टूट जाने पर या खो जाने पर वो दुखी होता है, उसी प्रकार एक माँ के लिये उसकी संतान अत्यंत प्रिय होती है। उसके बिछड़ जाने पर माँ बहुत दुखी होती है।










2. कवयित्री स्वयं को असहाय और विवश क्यों कहती है ?



उत्तर- कवयित्री स्वयं को असहाय एवं विवश इसलिये समझती समझती है क्योकि

i. उसने अपने पुत्र को दुनिया की सारी कष्टो से बचाने का प्रयास किया, फिर भी वह मृत्यु को प्राप्त हो गया।

ii. उसने अपने पुत्र की रक्षा के लिये देवताओं से भी विनती किया लेकिन फिर भी पुत्र जीवित न बचा।

iii. उसने अपने पुत्र को बचाने के लिये वह जिन पर भरोसा करती थी, वे कुछ काम न आए।

माँ के सामने उसका पुत्र छिन गया और वह कुछ न कर सकी ।








3. पुत्र के लिए माँ क्या-क्या करती है ?

उत्तर- पुत्र के लिये माँ बहुत कुछ करती है -

1. वह अपने पुत्र को अपने गर्भ मे नौ माह तक रखकर, कष्ट सहकर एक नई जिंदगी देती है।

ii. वह उसे हर कष्ट से बचाते हुये उसका पालन पोषण करती है।

iii. अपने भूखी रहकर भी अपने पुत्र को खाना खिलाती है।

iv. अपने पुत्र के लिये माँ देवताओं से लाखों दुआये मांगती है।

v. वह पुत्र को थपकी देकर लोरी गाते हुये सुलाती है।

vi. वह अपने पुत्र को बहुत अच्छा संस्कार देती है।









4. अर्थ स्पष्ट करे-

आज दिशाए भी हँसतीं है है उल्लास विश्व पर छाया, मेरा खोया हुआ खिलौना अब तक मेरे पास न आया ।

उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियां प्रसिद्ध लेखिका 'सुभद्रा कुमारी चौहान' द्वारा लिखित 'पुत्र वियोग' से ली गई है। लेखिका इस पंक्ति के माध्यम से यह कहना चाहती है कि आज चारो तरफ प्रसन्नता का वातावरण बना हुआ है, सभी लोग अपनी-अपनी खुशियों मे डूबे हुये है, ऐसे मे पुत्र के वियोग मे माँ अपने बेटे के आने का इंतजार कर रही है। पुत्र के वियोग मे डूबे माँ के लिये ये सारी खुशियाँ बेकार है।






5. माँ के लिये अपना मन समझाना कब कठिन है और क्यो ?

उत्तर- माँ के लिये अपना मन समझाना तब कठिन हो जाता है जब उसका प्यारा बेटा उसके पास नही होता है। यानि कि किसी कारण वश वो अपने बेटे से लम्बे समय तक ना मिल पाई हो तो उस परिस्थिति मे माँ के लिये अपना मन समझाना बहुत ही कठीन हो जाता है।

ऐसा इसलिये होता है क्योकि माँ अपने पुत्र से अत्यधिक प्यार करती है। वह अपने पुत्र को पल भर के लिये नहीं भूल सकती 













6. पुत्र को 'छौना' कहने मे क्या भाव छुपा है, उसे उद्घाटित करे।

उत्तर- वैसे तो हिरन आदि जानवरों के छोटे बच्चों को छौना कहा जाता है । ये बच्चे इन जानवरो को अपनी जान से भी अधिक प्रिय होते है। यहाँ छौना शब्द का प्रयोग प्यार, अपनापन का भाव प्रकट करने के लिये किया गया है।








7. मर्म उद्घाटित करें-भाई-बहिन भूल सकते है पिता भले ही तुम्हें भूलावे किंतु रात-दिन की साथिन माँ कैसे अपना मन समझावे ।

उत्तर- इन पंक्तियों का मर्म यह है कि किसी भी बच्चे के साथ उसके माँ का जितना गहरा संबन्ध होता है उतना भाई-बहन या पिता का नही होता है। माँ अपने बच्चे को नौ महीने तक अपने गर्भ में रखती है और अपने खून से उसका पालन-पोषण करती है। माँ अपने बेटे का हर कष्ट अपने ऊपर लेने का प्रयास करती है। वो अपने बेटे के साथ हर पल रहती है है। ऐसे मे वो कैसे अपने मन को समझा सकती है।








8. कविता का भावार्थ संक्षेप मे लिखिए ।

उत्तर- प्रसिद्ध लेखिका 'सुभद्रा कुमारी चौहान' द्वारा रचित यह पाठ 'पुत्र वियोग' बड़ा ही मार्मिक है। एक माँ के लिए उसके बेटे से बढकर और कोई नही हो सकता। उसका बेटा ही उसके लिये सब कुछ होता है। माँ अपने बेटे को हर समय कष्ट से बचाने का प्रयास करती है। वह अपने बेटे की सलामती की दुआ के लिये मंदिर, मस्जिद, मजार सब जगह माथा टेकती है। पुत्र के बिना माँ का जिवन नीरस तथा जटिल हो जाता है। वह अपने पुत्र को पाना चाहती है। उसे जी भरकर प्यार करना चाहती है । उससे कहना चाहती है कि वह उसे छोड़कर कहीं न जाए। उसके भाई-बहन, पिता भले ही कुछ समय बाद उसे भूल सकते है पर दिन रात साथ रहने वाली माँ उसे कैसे भूल सकती है और कैसे अपने मन को मना सकती है?







9. इस कविता को पढ़ने पर आपके मन पर क्या प्रभाव पड़ा, उसे लिखिए।

उत्तर- इस कविता को पढ़कर मन भाव-विभोर हो गया। माँ हमे इतना प्यार करती है। वो अपने गर्भ में हम सब को नौ माह तक रखकर अपने खून से हमारा पोषण और है वो अपने अमृत समान दूध से हमारा पोषण करती है। हमारे लिये वो बहुत कष्ट सहती है। हमे भी माँ को इतना ही प्यार करना चाहिये। उसकी हर आवश्यकताओ का पुरा ध्यान रखना चाहिये। उसके लिये हमे समय निकालना चाहिए ताकि हमारी माता को वृद्धावस्था मे ब्रिद्धाश्रम नही जाना पड़े।






वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. पुत्र वियोग शीर्षक कविता किसकी रचना है ?

a. जयशंकर प्रसाद

b. सुभद्रा कुमारी चौहान

C. सुधा चौहान

d. महादेवी वर्मा









2. सुभद्रा कुमारी चौहान स्वयं को असहाय क्यो कहती है ?

a. पिता वियोग के कारण

b. पुत्र वियोग के कारण

c. पति वियोग के कारण

d. इनमे से कोई नही








3. सुभद्रा कुमारी चौहान किस वर्ग की कवयित्री मानी जाती है ?

a. भक्ति भाव धारा

b. राष्ट्रीय भाव धारा

C. कटु यथार्थभाव धारा

d. इनमे से कोई नही






4. 'सरोज स्मृति' किसकी

रचनof 714

a. पंत

b. निराला

c. महादेवी वर्मा

d. सुभद्रा कुमारी चौहान













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