संस्कृत में श्लोक, विद्यामहत्वम् (IMPORTANCE OF KNOWLEDG( येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुविभारभूता मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति ।).970909622037,8340763695, ARARIA, BIHAR.



मातेवरक्षति पितेन हिते नियुक्ते कान्तेव चाभिरमयत्यपनीय खेदम्।लक्ष्मी तनोति वितनोति च दिक्षु कीर्तिम् किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या ।।१।।






अर्थ:-
विद्या माता की तरह रक्षा करती है ,पिता की तरह भरण पोषण करती है। पत्नी की तरह सुख-दुख में साथ देती है ।धन को देती है, यश को चारों दिशाओं में फैलती है ।इसके द्वारा क्या प्राप्त नहीं किया जा सकता है।विद्या कल्पना  वृक्ष की तरह है ,इसका द्वारा इच्छित  फल प्राप्त कर सकते हैं।







 कामधेनुगुणा विद्या ह्यकाले फलदायिनी। प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तधनं स्मृतम् ।।२।।







अर्थ :-
विद्या कामधेनु गाय की तरह है ,विद्या फल देने वाली होती है । यह विदेश में माता की तरह मदद करती है,तथा गुप्त(छुपा हुआ) सदा याद रखने योग्य है।





 न चौरहार्यं न च राजहार्यं न भ्रातृभाज्यं न च भारकारी। व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनम् सर्वधनं प्रधानम् ॥३॥






अर्थ:-
विद्या रूपी धन को ना चोर चुरा सकता है ,ना राजा हरण कर सकता है । ना भाई बांट सकता है ,इसमें वजन भी नहीं होता है ।विद्या को नित्य रोज खर्च करने पर  बढ़ता है ,जबकि दूसरे धन को रोज खर्च करने पर घटता है, इसी विशेषता के कारण विद्या को सभी धनों में श्रेष्ठ माना गया है।






 अन्नदानं परं दानं विद्यादानं ततः परम्। अन्नेन क्षणिका तृप्तिः यावज्जीवं च विद्यया ।।४।। 






अर्थ : अन्नदान को बड़ा दान कहा गया है ,लेकिन विद्यादान को उससे भी बड़ा दान कहा गया है ।क्योंकि अन्न दान करने और प्राप्त  करने वाले को कुछ छन तक तृप्ति( संतुष्टि )मिलता है ,जबकि विद्यादान करने वाले और पाने वाले को जीवन भर सुख और शांति प्राप्त होती है।




विद्याधनं श्रेष्ठधनं तन्मूलमितरधनम्। दानेन वर्धते नित्यं न भारायच नीयते ।।५।।





अर्थ :-विद्या रूपी धन को श्रेष्ठ कहा गया है, क्योंकि विद्या से ही सभी प्रकार के धन प्राप्त होते है।अर्थात विद्या सभी धनों के जड़ में छिपा है। विद्या को नित्य खर्च करने पर बढ़ता है ,जबकि दूसरे धनों को नित्य खर्च करने से घटता है ,विद्या को कहीं ले जाने या आने में भार महसूस नहीं होता है ,इसी कारण विद्या को सभी धनों में श्रेष्ठ कहा गया है।

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