वेदांग का परिचय (,योगस्थः कुरु कर्माणि संगं त्यक्त्वा धनंजय । सिद्धयसिद्धयोः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते ॥ )By SUJEET SIR 9709622037,Araria,Bihar.
वेदांग वेदों के अध्ययन और समझ को आसान बनाने के लिए विकसित किए गए छह सहायक शास्त्र हैं। ये वेदों के अंग माने जाते हैं।
छह वेदांग कौन-कौन से हैं?
* शिक्षा: यह वेद मंत्रों के उच्चारण की विधि बताती है। स्वर और वर्णों के सही उच्चारण पर विशेष जोर दिया जाता है।
* कल्प: वेदों में बताए गए कर्मकांडों के विस्तृत विवरण के लिए कल्प शास्त्र का अध्ययन किया जाता है।
* व्याकरण: वेदों की भाषा के व्याकरणिक नियमों को समझने के लिए व्याकरण का अध्ययन आवश्यक है।
* निरुक्त: वेदों में आए हुए शब्दों के अर्थ और व्युत्पत्ति (उत्पत्ति) को समझने के लिए निरुक्त शास्त्र का अध्ययन किया जाता है।
* छंद: वेद मंत्रों के छंदों के बारे में जानकारी देने वाला शास्त्र छंद शास्त्र है।
* ज्योतिष: वेदों में वर्णित यज्ञों के लिए शुभ मुहूर्त निकालने के लिए ज्योतिष का अध्ययन किया जाता था।
वेदांगों का महत्व
वेदांगों का अध्ययन बिना वेदों को ठीक से समझा नहीं जा सकता। ये वेदों के पूरक हैं और इनके माध्यम से ही वेदों के गूढ़ रहस्य को समझा जा सकता है।
वेदांगों का आधुनिक महत्व
आज भी वेदांगों का अध्ययन कई कारणों से किया जाता है:
* सांस्कृतिक विरासत: वेदांग भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
* भाषा विज्ञान: व्याकरण शास्त्र भाषा विज्ञान के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है।
* खगोल विज्ञान: ज्योतिष शास्त्र में खगोल विज्ञान के कई सिद्धांतों का उल्लेख मिलता है।
* धर्म और दर्शन: वेदांग धर्म और दर्शन के अध्ययन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।