class 10th, हिंदी,subjective question answer (मुश्किलें आती है लेकिन रास्ते भी मिलता है, सब्र का फल तो हमें..... वक्त आने पर ही मिलता है, कुछ नहीं बदलता है...... सिर्फ परेशान होने से, संयम और विवेक से ही .....परेशानियों का हल निकलता है।।)By SUJEET SIR,9709622037,8340763695Araria, Bihar.

 
डॉ. भीमराव अंबेडकर: भारत के महान दार्शनिक और समाज सुधारक




डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर भारत के एक महान विद्वान, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, लेखक और समाज सुधारक थे। उन्हें भारत के संविधान का मुख्य शिल्पकार माना जाता है और उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए अथक प्रयास किए थे।




प्रमुख योगदान:
 * भारतीय संविधान: उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया और इसमें सामाजिक समानता और न्याय को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए।
 * दलित अधिकार: उन्होंने दलितों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए कई आंदोलन चलाए और दलितों को समानता और सम्मान दिलाने के लिए संघर्ष किया।





 * शिक्षा: उन्होंने शिक्षा को दलितों के उत्थान का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम माना और शिक्षा के प्रसार के लिए कई प्रयास किए।
 * बौद्ध धर्म: उन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया और दलितों के बीच बौद्ध धर्म का प्रचार किया।




जीवन और कार्य:
 * जन्म: 14 अप्रैल, 1891, महू, मध्य प्रदेश
 * शिक्षा: भारत और अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त की
 * राजनीतिक जीवन: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए, बाद में स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की
 * मृत्यु: 6 दिसंबर, 1956
विरासत:



डॉ. अंबेडकर की विरासत आज भी भारत में प्रासंगिक है। उन्होंने जो संघर्ष किया और जो विचार दिए, वे आज भी भारतीय समाज को प्रेरित करते हैं।

































नलिन विलोचन शर्मा: हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण स्तंभ
नलिन विलोचन शर्मा हिंदी साहित्य के एक प्रमुख आलोचक, लेखक और विचारक थे। उनकी गहन विद्वता और आलोचनात्मक दृष्टि ने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी।




जीवन और कार्य
 * जन्म: 18 फरवरी, 1916, पटना, बिहार
 * शिक्षा: पटना विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर
 * कैरियर: पटना विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग में प्राध्यापक






 * साहित्यिक योगदान:
   * आलोचना: उनकी आलोचनात्मक दृष्टि ने हिंदी साहित्य को नए सिरे से समझने का एक नया तरीका दिया।
   * लेखन: उन्होंने कविता, कहानी, निबंध, जीवनी आदि कई विधाओं में लिखा।




   * नकेनवाद: वे हिंदी में 'नकेनवाद' आंदोलन के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक थे।
 * मृत्यु: 12 सितंबर, 1961
प्रमुख कृतियाँ
 * विष के दांत
 * मानदंड





 * बाबू जगजीवन राम की जीवनी
नलिन विलोचन शर्मा का महत्व
 * आधुनिक हिंदी आलोचना के जनक: उन्हें आधुनिक हिंदी आलोचना के जनक माना जाता है।





 * रूपवाद: उन्होंने साहित्य के रूप पर विशेष जोर दिया और 'रूपवाद' का समर्थन किया।




 * विषयवस्तु और शिल्प: उन्होंने विषयवस्तु के साथ-साथ साहित्यिक कृति के शिल्प पर भी समान रूप से जोर दिया।
 * नई पीढ़ी को प्रेरित किया: उन्होंने अपनी रचनाओं और विचारों से कई युवा लेखकों और आलोचकों को प्रेरित किया।





विरासत
नलिन विलोचन शर्मा की विरासत हिंदी साहित्य में सदैव अमर रहेगी। उनकी आलोचनात्मक दृष्टि और साहित्यिक योगदान ने हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाया है।

































मैक्स मूलर: भारतीय संस्कृति के पश्चिमी अध्ययन के अग्रदूत
मैक्स मूलर एक जर्मन भाषाविद्, वेद और प्राच्य विद्या विशारद थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म के पश्चिमी अध्ययन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारतीय संस्कृति के एक उत्कृष्ट विद्वान के रूप में जाना जाता है।






प्रमुख योगदान
 * वेदों का अध्ययन: उन्होंने वेदों का गहन अध्ययन किया और उन्हें पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया। उन्होंने 'ऋग्वेद' का संपादन किया और इसे कई भाषाओं में अनुवादित किया।
 * सैक्रेड बुक्स ऑफ द ईस्ट: उन्होंने 'सैक्रेड बुक्स ऑफ द ईस्ट' नामक एक विशाल ग्रंथ श्रृंखला का संपादन किया, जिसमें भारतीय धर्मों के प्रमुख ग्रंथों का अंग्रेजी अनुवाद शामिल था।





 * भारतीय दर्शन: उन्होंने भारतीय दर्शन, विशेषकर वेदांत दर्शन पर गहरा अध्ययन किया और इसके बारे में कई ग्रंथ लिखे।



 * भारतीय संस्कृति का प्रचार: उन्होंने भारतीय संस्कृति और धर्म का पश्चिमी देशों में व्यापक प्रचार किया।




विवाद
हालांकि मैक्स मूलर ने भारतीय संस्कृति के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया, लेकिन उनकी कुछ व्याख्याओं को लेकर विवाद भी रहे हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि उन्होंने भारतीय संस्कृति को पश्चिमी दृष्टिकोण से देखा और उसकी कुछ बारीकियों को नजरअंदाज किया।




महत्वपूर्ण तथ्य
 * जन्म: 6 दिसंबर, 1823, जर्मनी
 * मृत्यु: 28 अक्टूबर, 1900
 * शिक्षा: लीपजिग विश्वविद्यालय में संस्कृत का अध्ययन




निष्कर्ष
मैक्स मूलर ने भारतीय संस्कृति और धर्म को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि उनकी कुछ व्याख्याओं को लेकर विवाद रहे हैं, लेकिन उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता।
































हजारी प्रसाद द्विवेदी: हिंदी साहित्य का एक चमकदार सितारा
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी हिंदी साहित्य के एक ऐसे स्तंभ थे जिनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। वे एक निबंधकार, आलोचक और उपन्यासकार थे। उनकी गहरी विद्वता, सरल भाषा और मार्मिक लेखन शैली ने उन्हें हिंदी साहित्य जगत में एक अद्वितीय स्थान दिलाया।




जीवन और योगदान
 * जन्म: 19 अगस्त, 1907, बलिया, उत्तर प्रदेश
 * शिक्षा: संस्कृत और अंग्रेजी के विद्वान थे।




 * साहित्यिक यात्रा: उन्होंने हिंदी साहित्य के लगभग सभी विधाओं में अपना योगदान दिया।



 * विचारधारा: वे राष्ट्रवादी और धर्मनिरपेक्ष विचारों के प्रबल समर्थक थे।



 * पुरस्कार: उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
 * मृत्यु: 19 मई, 1979, दिल्ली




प्रमुख कृतियाँ
 * निबंध संग्रह: अशोक के फूल, कल्पलता, विचार और वितर्क, विचार प्रवाह, कुटज, आलोक पर्व
 * उपन्यास: पुनर्जन्म
क्यों हैं वे खास?



 * गहरी विद्वता: वे हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी और बांग्ला भाषाओं के विद्वान थे।



 * सरल भाषा: उन्होंने जटिल विषयों को सरल भाषा में समझाया।



 * मार्मिक लेखन: उनकी लेखनी में भावनात्मक गहराई थी।
 * सांस्कृतिक चेतना: उन्होंने भारतीय संस्कृति और इतिहास पर गहराई से लिखा।



हिंदी साहित्य में योगदान
 * आलोचना: उन्होंने हिंदी साहित्य की आलोचना को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।



 * निबंध: उनके निबंधों ने पाठकों को सोचने पर मजबूर किया।



 * उपन्यास: उनके उपन्यासों ने भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर किया।



विरासत
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की विरासत आज भी हिंदी साहित्य में जीवंत है। उनकी रचनाएँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं।












गुणाकर मुले: विज्ञान को सरल बनाने वाले महान लेखक
गुणाकर मुले हिंदी और अंग्रेजी में विज्ञान लेखन के लिए जाने जाते थे। उन्होंने विज्ञान को इतने सरल तरीके से समझाया कि आम जन भी विज्ञान के जटिल सिद्धांतों को आसानी से समझ सकें।






जीवन और योगदान
 * जन्म: 3 जनवरी, 1935, महाराष्ट्र
 * शिक्षा: इलाहाबाद विश्वविद्यालय से गणित में एम.ए.
 * विज्ञान लेखन: उन्होंने हिंदी में लगभग 3000 और अंग्रेजी में 250 से अधिक लेख लिखे।





 * विज्ञान को लोकप्रिय बनाना: उन्होंने विज्ञान को रोचक और मनोरंजक बनाने का प्रयास किया। उनके लेखों में विज्ञान के इतिहास, भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों के जीवन पर आधारित कहानियां शामिल थीं।





 * संगठनों में योगदान: वे एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तक संपादन मंडल और नेशनल बुक ट्रस्ट की हिंदी प्रकाशन सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे।





 * मृत्यु: 16 अक्टूबर, 2009
क्यों हैं वे खास?



 * सरल भाषा: उन्होंने जटिल वैज्ञानिक सिद्धांतों को सरल भाषा में समझाया।
 * विज्ञान का प्रचार: उन्होंने विज्ञान के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
 * भारतीय विज्ञान पर जोर: उन्होंने भारतीय विज्ञान और वैज्ञानिकों पर विशेष ध्यान दिया।




कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें
 * संसार के महान गणितज्ञ
 * भारतीय विज्ञान की कहानी
 * आकाश दर्शन
 * भारतीय अंकपद्धति की कहानी
 * भारतीय लिपियों की कहानी
 * आर्यभट
 * महापण्डित राहुल सांकृत्यायन
गुणाकर मुले ने विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी रचनाएं आज भी विज्ञान के प्रति लोगों की रुचि जगाने में मदद करती हैं।







































अमरकांत: हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण नाम
अमरकांत हिंदी साहित्य के एक प्रमुख यथार्थवादी कहानीकार थे। उन्हें मुंशी प्रेमचंद के बाद इस धारा के प्रमुख लेखक माना जाता था। यशपाल ने उन्हें "भारत का गोर्की" की उपाधि दी थी।








 * जीवन और साहित्यिक यात्रा:
   * उनका जन्म 1 जुलाई, 1925 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ था।





   * उन्होंने पत्रकारिता से अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत की।





   * उनकी कहानी "डिप्टी कलेक्टर" ने उन्हें काफी प्रसिद्धि दिलाई।




   * उन्होंने कथा, उपन्यास, आत्मकथन और बाल साहित्य जैसे विभिन्न विधाओं में लिखा।




 * साहित्यिक योगदान:



   * उन्होंने मध्यवर्ग के जीवन की वास्तविकता और विसंगतियों को अपने लेखन में बखूबी उजागर किया।
   * उनकी कहानियां समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के जीवन और संघर्षों को दर्शाती हैं।





   * उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।




 * प्रमुख कृतियाँ:
   * डिप्टी कलेक्टर
   * गुलरीज़
   * कुआँ
   * बिहू
   * और भी कई




अमरकांत की कहानियां आज भी प्रासंगिक हैं और नए पाठकों को भी आकर्षित करती हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य को एक नई दिशा दी और उनकी रचनाओं ने साहित्य जगत में एक स्थायी छाप छोड़ी है।





































राम विलास शर्मा: हिंदी साहित्य का एक महत्वपूर्ण स्तंभ
राम विलास शर्मा हिंदी साहित्य के एक प्रतिष्ठित कवि, गद्यकार और आलोचक थे। उन्होंने हिंदी साहित्य को कई नई आयाम दिए और अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज के विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डाला।





 * जीवन और साहित्यिक यात्रा:
   * उनका जन्म 27 नवंबर, 1926 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुआ था।



   * उन्होंने हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर किया और कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन किया।




   * उनकी रचनाओं में गहरा दार्शनिक चिंतन, सामाजिक चेतना और देशभक्ति की भावना झलकती है।




 * साहित्यिक योगदान:
   * उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसे विभिन्न विधाओं में लिखा।



   * उनकी कविताएँ प्रकृति, मानव जीवन और सामाजिक समस्याओं पर केंद्रित थीं।




   * उन्होंने हिंदी आलोचना को नई दिशा दी और आधुनिक हिंदी साहित्य का गहन विश्लेषण किया।


 * प्रमुख कृतियाँ:
   * आँखें
   * अग्निपथ
   * चिंता
   * अंधेर नगरी
   * और भी कई




 * सम्मान:
   * उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म विभूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।




राम विलास शर्मा की रचनाएँ हिंदी साहित्य का एक अमूल्य खजाना हैं। उनकी रचनाओं में गहराई, सौंदर्य और दार्शनिक चिंतन का अद्भुत सम्मिश्रण देखने को मिलता है।






















बिरजू महाराज: कथक के सम्राट
पंडित बृजमोहन मिश्र, जिन्हें बिरजू महाराज के नाम से जाना जाता है, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, विशेषकर कथक, के एक महान कलाकार थे। वे लखनऊ घराने के कथक नर्तक थे और इस शैली को नई ऊंचाइयों पर ले गए।




कथक के जादूगर
 * लखनऊ घराने की विरासत: बिरजू महाराज कथक नर्तकों के महाराज परिवार के वंशज थे। उन्होंने अपने पिता अच्छन महाराज से कथक सीखा और इस कला को पूरी दुनिया में लोकप्रिय बनाया।




 * अद्वितीय शैली: उनकी नृत्य शैली में अद्भुत लयबद्धता, भाव-भंगिमाओं की गहराई और तकनीकी परिपक्वता का अद्भुत संगम था।



 * कथक को नई पहचान: उन्होंने कथक को सिर्फ एक नृत्य शैली से परे ले जाकर इसे एक कला के रूप में स्थापित किया। उन्होंने कथक को फिल्मों और मंच पर भी लोकप्रिय बनाया।



जीवन और योगदान
 * जन्म और शिक्षा: उनका जन्म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था। उन्होंने अपने पिता से कथक सीखा और बाद में खुद भी कई शिष्यों को प्रशिक्षित किया।




 * कला और शिक्षा: उन्होंने न केवल नृत्य किया बल्कि कथक को पढ़ाया भी। उन्होंने संगीत भारती, भारतीय कला केंद्र और कत्थक केंद्र जैसे संस्थानों में शिक्षण कार्य किया।




 * पुरस्कार और सम्मान: उन्हें उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले, जिनमें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और पद्म विभूषण शामिल हैं।
एक अमर विरासत





बिरजू महाराज का निधन 17 जनवरी, 2022 को हुआ, लेकिन उनकी कला हमेशा जीवित रहेगी। उन्होंने कथक को एक नई ऊंचाई दी और इसे दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया। उनकी विरासत हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगी।