संस्कृत व्याकरण, basic knowledge in sanskrit (न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्।।)By SUJEET SIR,9709622037,8340763695 ARARIA, BIHAR.













संस्कृत मे तीन पुरुष होते हैं - 
प्रथम पुरुष - अन्य सभी सञ्ज्ञा और सर्वनाम शब्द 
मध्यम पुरुष - युष्मद् (त्वम् युवाम् यूयम्)
उत्तम पुरुष - अस्मद् (अहम् आवाम् वयम्)।









संस्कृत मे तीन वचन होते हैं-
एकवचन द्विवचन बहुवचन।

तीन लिङ्ग होते हैं-
पुल्लिङ्ग स्त्रीलिङ्ग नपुंसकलिङ्ग।








प्रत्येक सञ्ज्ञा शब्द का अपना एक लिङ्ग होता है, सर्वनाम और विशेषण शब्द प्रायः तीनों लिङ्ग मे चलते हैं।
नीचे प्रथम पुरुष मे आने वाले कुछ सर्वनाम शब्द तीनों लिङ्ग मे दिए जा रहे हैं - 







पु• - एषः (यह) एतौ (ये दोनों) एते (ये सब)
स्त्री•-एषा (यह) एते(ये दोनों) एताः (ये सब)
नपुं•- एतत् (यह) एते(ये दोनों) एतानि (ये सब)







पु•-  सः (वह) तौ (वे दोनों) ते (वे सब)
स्त्री•- सा(वह) ते (वे दोनों) ताः (वे सब)
नपु•- तत् (वह) ते(वे दोनों) तानि ( वे सब)







पु•- कः (कौन) कौ (कौन दो) के (कौन सब)
स्त्री•- का (कौन) के (कौन दो) काः (कौन सब)
नपु•- किम् (कौन) के (कौन दो)कानि (कौन सब)






पु•- भवान्(आप) भवन्तौ(आप दोनो) भवन्तः(आप सब)
स्त्री•- भवती(आप) भवत्यौ(आप दोनो) भवत्यः(आप सब)
नपु•- ------





अन्य सञ्ज्ञा शब्द - अकारान्त पुल्लिंग ⤵️
 रामः (राम), ईश्वरः (ईश्वर), बालकः (बालक), मनुष्यः (मनुष्य), नृपः (राजा), विद्यालयः (विद्यालय), ग्रामः (गाँव) ।






        एकवचनम्  द्विवचनम् बहुवचनम्
प्रथमा    रामः     रामौ              रामाः
द्वितीया रामम्     रामौ             रामान्
तृतीया   रामेण   रामाभ्याम्      रामैः
चतुर्थी    रामाय   रामाभ्याम्      रामेभ्यः
पञ्चमी रामात्,  रामाभ्याम्      रामेभ्यः
षष्ठी       रामस्य  रामयोः           रामाणाम्
सप्तमी   रामे         रामयोः         रामेषु
सम्बोधन हे राम    हे रामौ           हे रामाः
ऊपर दिए गए अन्य सभी राम के तुल्य चलेंगे।







क्रिया पद - 
भू (होना), पठ् (पढ़ना), गम् (जाना), हस् (हँसना) लिख(लिखना) खाद(खाना) उपविश (बैठना) पच् (पकाना) ।
भू धातु प्रथम पुरुष - भवति  भवतः भवन्ति
पठ् धातु प्रथम पुरुष - पठति पठतः पठन्ति 
गम् धातु प्रथम पुरुष - गच्छति गच्छतः गच्छन्ति
हस् धातु प्रथम पुरुष - हसति  हसतः  हसन्ति
लिख् धातु प्रथम पुरुष - लिखति लिखतःलिखन्ति
खाद धातु प्रथम पुरुष - खादति  खादतः  खादन्ति
उपविश् धातु प्रथम पुरुष - उपविशति उपविशतः उपविशन्ति
पच् धातु प्रथम पुरुष- पचति पचतः पचन्ति








अव्ययपद (अव्यय के रुप नही बदलते)- 
अत्र - यहाँ
तत्र - वहाँ
यत्र - जहाँ
कुत्र -कहाँ
सर्वत्र - सब जगह
इतः - यहां से
ततः- वहां से
यतः- जहां से
कुतः - कहां से
सर्वतः - सभी जगह से
अन्तः - भीतर
बहिः - बाहर
मध्ये - मध्य
उच्चै - जोर से
नीचैः / अधः - नीचे
अन्यत्र - दूसरी जगह
समीपम् - पास
इतस्ततः - इधर - उधर
अभितः - सामने
अग्रे / पुरतः - आगे (In Front Of), 
परितः - चारो ओर








उदाहरण वाक्य - १. वह पढ़ता है- सः पठति । 
२. वे दो पढ़ते हैं (या पढ़ रहे हैं) - तौ पठतः । 
३. वे सव पढ़ते हैं- ते पठन्ति । 
४. वहाँ क्या हो रहा है? - तत्र किं भवति ? 
५. बालक वहाँ जाता है-बालकः तत्र गच्छति । 
६. वह मनुष्य हँसता है- सः मनुप्यः हसति ।







संस्कृत वनाओ - 
(क) 
१. वह पढ़ता है। 
२. वह हँसता है। 
३. बालक पढ़ता है । 
४. राम गाँव जाता है। 
५. वालक विद्यालय जाता है । 
६. राजा जा रहा है । 
७. वह मनुप्य कहाँ जाता है ? 
८. वहाँ कौन पढ़ रहा है ? 
९. यहाँ क्या हो रहा है ? 
१०. वह बालक हँसता है । 
(ख) 
११. वे दोनों पढ़ते हैं। 
१२. वे दोनों कहाँ जाते हैं ? 
१३. दो वालक हँसते हैं। 
१४. दो मनुष्य गाँव जाते हैं । 
१५. दो वालक विद्यालय जाते हैं। 
(ग) 
१६. वे सब पढ़ते हैं। 
१७. सव वालक हँसते हैं । 
१८. सव मनुप्य गाँव को जाते हैं । 
१९. वे वालक जहाँ जाते हैं, वहाँ हँसते हैं । 
२०. सव बालक पढ़ रहे हैं।
नोट। आप खुद से बनाए ......
                                                                                                         SUJEET SIR.