1 .संसाधन एवं विकास संसाधन ,class 10th (EVERYTHING is possible)By Sujeet sir,9709622037, अररिया .







संसाधन एवं विकास
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संसाधन - वे वस्तुऐं जो पर्यावरण में उपलब्ध है व आर्थिक रूप -से मान्य होने के साथ - साथ हमारी
आवश्यकताओं को पूरा करें।










संसाधनों का वर्गीकरण
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-संसाधनो के प्रकार
                                                                         
(1.) उत्पत्ति के आधार पर

#अजैव संसाधन

इनकी प्राप्ति जीवमंडल में
होती है ,इनमें जीवन व्याप्त होता है।
 जैसे- 'मनुष्य, प्राणिजात, पशुधन आदि ।





#अजैव संसाधान 
जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं।
जैसे चटटाने ,धातुएँ






(२) समाप्यता के आधार पर
                                                                         
 नवीकरणीय योग्य
जिन्हें भौतिक/रसायनिक / यात्रिक "क्रियाओं द्वारा पुनः नवीकृत या उत्पन्न किया जा सकता है 
जैसे . पवन ऊर्जा, सौर उर्जा, वन व वन्य जीव
  


पुनः चक्रीय
मचक्रीय
धातु
जीवाश्म


अनीकरणीय योग्य
विकास लबे  समय (करोड़ो वर्षो ) में होता है।
 जैसे . खनिज, जीवाश्म ईंधन 

कुछ धातुएँ तो पुनः चक्रीय है मगर जीवाश्म ईंधन अचक्रीय है, जो एक बार के प्रयोग के साथ ही समाप्त हो
जाता है।
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3) स्वामित्व के आधार पर
(i) व्याक्र्तगत :- निजी व्यक्तियों
का अधिकार होता है
 जैसे- बहुत से किसानो को सरकार भूमि आवाटतं करती है
 जिसके  बदले मे किसान लगान चुकाते हैं।

e.g· बाग, चारागाह, तलाब, कुए etc.







(ii) राष्ट्रीय संसाधन
देश में पाये जाने वाले जिन पर सरकार का अधिकार 
होते हैं। सरकार इन्हें भी आम जनता के हित में व्यय कर सकती है
जैसे खनिज पदार्थ, जल संसाधन,वन ,वन्य जीव

Note।   राजनीतिक सीमाओं की अंदर की भूमि 12 समुद्र मील पर(22.2km) महासागरीय क्षेत्र एवं इसमें पाए जाने वाले संसाधन





(iii ) सामुदायिक संसाधन

सामुदायिक के सभी सदस्यों को उपलब्ध होता है
जैसे गांव में  चारण भूमि , शमशान भूमि, तालाब इत्यादि
नगरीय क्षेत्रो में :- सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल के मैदान etc.



(1v)अंतराष्ट्रीय संसाधन 
जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय संस्थाऐं नियंत्रित करती है
तट रेखा से 200 समुद्र मील दूरी की( अपवजर्क क्षेत्र) से खुले महासागरीय संसाधन पर किसी देश का अधिकार नहीं है।







(4) विकास के आधार पर

(i) संभावी संसाधन : जो किसी प्रदेश में विद्यमान है व उनका अभी तक उपयोग नहीं किया गया है
eg. गुजरात, राजस्थान जहाँ पवन और सौर उर्जा संसाधनों की अपार संभावना है। 




(ii) भंडारण - जो प्रौद्योगिकी के प्रभाव के कारण पहुंच से बाहर से
 e.g. जल दो ज्वलनशील गैसो (H+02)
का यौगिक है यह उर्जा का मुख्य स्रोत हो सकता है 
मगर तकनीक का अभाव है।


 (iii) विकसित संसाधन

जिसका सर्वेक्षण क्रिया जा चुका है, उपयोग+ गुणवत्ता की मात्रा निर्धारित कि. की, जा चुकी है





(iv) संचित कोष : तकनीकी ज्ञान की सहायता से उपयोग में लाया जा सकता है

भविष्य में जरूरत को पूरा करने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।
                                                                         








+ सतत पोषणीय विकास:-
 वह विकास जो भविष्य में आने वाली पीढियों को ध्यान में रखकर किया जाए जिससे पर्यावरण को  नुकसान ना हो।











+ रियो डी जेनेरा पृथ्वी सम्मेलन; 1992 :-
 ब्राजील शहर रियो डी जेनेरा मे प्रथम आयोजन पृथ्वी सम्मेलन 100 से अधिक राष्ट्राध्यक्ष शामिल किया गया था





आयोजन का उददेश्य
 उभरते पर्यावरण संरक्षण + सामाजिक आर्थिक विकास की समस्याओं का हल ढूंढना शामिल नेताओं ने सम्मेलन में - भूमंडलीय जलवायु और जैविक विविधता पर एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए सम्मेलन में' 'वन सिद्धातों पर सहमति जताई गई व 217 शताब्दी में सतत पोषणीय विकास के लिए 27 एजेंडा 21 को स्वीकृति मिली। 







, एजेडा- 21वीं

1- 21:- एक घोषणा है जिसे रियो डी जेनेरा सम्मेलन में राष्ट्रध्यक्षो द्वारा स्वीकार किया गया

'उददेश्य: भूमंडलीय सतत पोषणीय विकास को हासिल करना है। यह एक कार्यसूची है जिसका उददेश्य समान हितों, पारम्परिक आवश्यकताओं व सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग के द्वारा पर्यावरणीय क्षति, गरीबी व रोगों से निपटाए है




संसाधन संरक्षण- संसाधन
महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
किसी भी तरह के विकास में बेहद संसाधन के जरूरत से ज्यादा उपयोग से बहुत सी पर्यावरणीय समस्याऐं जन्म ले रही हैं। भूतकाल से ही संसाधनों का संरक्षण का विषय चिंता का विषय रहा है जिस पर गाँधी जी के शब्द कुछ यूं थे कि-






 हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए तो बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं।








अंतराष्ट्रीय स्तर पर 1968 में क्लब ऑफ रोम ने वकालत की थी।





संसाधन संरक्षण की। 1914 - शुभेसर ने अपनी पुस्तक के दर्शन पर पुनरवित्ति की थी





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- स्माल इज ब्युटीफुल में गांधी जी
1981 बुटलैन्डस आयोग ने एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें संसाधन संरक्षण को वैश्विक स्तर पर मूलाधार माना गया साथ ही रक्ष रिपोर्ट ने सतत विकास और संसाधन संरक्षण की वकालत की। बाद में रिपोर्ट प्रकाशित हुई हमारा साझा भविष्य के नाम से • भू. आकृतियों के अंतर्गत क्षेत्र-



















* परती भूमि जहाँ एक कृषि वर्ष या उससे कम समय में खेती न की गई हो।






पुरातन परती- जहाँ 1-5 कृषि वर्ष से खेती ना की गई हो।





मगर ,भारत का कुल भौगौलिक क्षेत्रफल = 32.8 लाख वर्ग किमी. हमारे पास इसके 91% भाग के, ही माँकडे उपलब्ध है क्योंकि अक्षम को छोड़कर पूलेन्तिर प्रांतों + 5QK में Pok + आक्साई चीन वाले सेलो के आँकड़े हमारे पास नही है।












राष्ट्रीय वन नीति (1952) = वनों के अंतर्गति (भारत में) 83% औगोलिक क्षेत्र बांधित है ।




वन नीति द्वारा निर्धारित यह सीमा पारिस्थतिकी संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है।





, बजर भूमि
पहाड़ी चटटाने, सूखी - मरुस्थलीय भूमि, गैर कृषि प्रयोजनी (बस्तियाँ, सड़के, रेल, उद्योग इत्यादि) में प्रयोग की गई भूमि






भूमि निम्नीकरण :- लगातार भूमि सरक्षण व प्रबंधन की
अवहेलना करने से लगातार शमि निम्नीकरण हो रहा है। जिससे समाज व पर्यावरण पर गंभीर समस्या उत्पन्न सकती है। 







वर्तमान में लगभग 13 करोड़ Hectare भूमि निम्नीकृत है 28%) बनो के अंतर्गत
56% = क्षेत्र जल अपरहित है।
शेष क्षेत्र = लवणीय + मारीय है।






इसके अतिरिक्त वनोन्मूलन, अति पशुचारणा, खनन से मानव भूमि निम्नीकरण! में मुख्य भूमिका निभा रहा है।

















- निम्नीकरण के कारण -

झारखंड, छत्तीशगढ़, म०प्र०, उड़ीसा== वनोन्मूलन
गुजरात, राजस्थान, म०५०, महाराष्ट्र== अतिपशुचारण
 पजाब, हरियाणा, पश्चिमी U.P.===अधिक सिचांई









. निम्नीकरण के उपाय 

वनोरोपण, चारागाहों का उचित प्रबंधन, पशुचारण पर नियंत्रणं + रेतीले टीलो पर कंटीली झाडियाँ लगाकर, भूमि कटाव को रोका जा सकता है, खनन नियंत्रण + औद्योगिक जल को परिष्करण के बाद विसर्जित करके प्रदूषण कम किया जा सकता है।